शिक्षा और अंध विश्वास



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  1. January 31, 2019 at 6:21 AM
    पाखंडवाद
    आज पाखंडवाद इतना bdh गया है कि जिसका विचार भी करे तो पार नहीं आज भक्ति को हमारे धर्म गुरुओं ने इतना कठिन बना दिया है कि वास्तविक में भगवान को पाना इतना कठिन होगा तो हमने टोबा कर लिया और शास्त्रों से कोसो दूर करके हमे पाखंडवाद में लगा दिया तीर्थो में भटकना ,वर्टो में उलजा दिया पहाड़ों प्र जाना और शरीर को गाल दिया हिंडोला बना दिया परमात्मा कहते हैं कि
    पत्थर को परमेश्वर कहते , ये निंदा बडी भारी ।
    गरीबदास मोहे हुआ अच्मभा,पूजा की के दी गारी ।।
    जोहड़ से पानी भर लाए,पत्थर को नहाए।
    वो पानी चेतन को पिलाए ,जिन्हें चरणामृत थहराराय ।।
    ऐसे ऐसे हम मूर्ख बना रखा शास्त्रविरुद्ध साधना करवा के अब शास्त्रानुकूल भक्ति करके हम परमात्मा को आसानी से प्राप्त कर सकते है और इस कार्य को आज वर्तमान में जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने बहुत ही आसान कर रखा हैं और पूर्ण जानकारी के लिए आप देखना ना भूल रोजाना शाम को 7.30 बजे साधना चैनल पर
    और घर बैठे पुस्तक भी फ्री में प्राप्त कर सकते हैं "अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान "मो .नंबर 9928313988 पर अपना नाम पता लिखकर smsकर सकते है जी

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  2. शिक्षा और अंध विश्वास



    आइए आज आपको एक ऐसा सत्य बताते है जो आज तक हमारे लिए एक प्रश्नचिन्ह बनकर रह जाता ,मगर आज आपको कुछ कटु सत्य बताने जा रहा हूं ,
    *अब हम इस प्रथ्वी पर क्यों आए*
    *आने के बाद हमें क्या कार्य करना होता हैं और क्या नहीं*
    *और हमें यहां मानव जन्म क्यों मिलता है*
    *यह सवाल हम मानव समाज के सामने सिर्फ प्रश्न चिह बनकर रह जाते ऐसा क्यों ?*
    हमे इस प्रथ्वी पर इसलिए भेजा गया है कि हम उस शक्ति के बारे में जानकारी प्राप्त करे जिसने हमें और इस सारे जहां को बनाया आखिर वह कोन है ,अब हमे जब वह भेजता है तो मां के गर्भ में हमारी रक्षा करता है ,और जब मां के गर्भ से बाहर आते है तो हमारे लिए दूध की व्यवस्था करता है, अब हम बाहर,आकर उसे भूल जाते हैं और हम लग जाते है हमारे बल से कुछ हासिल करने के पीछे और हम शिक्षा ग्रहण करते हैं फिर छोटी बडी नोकरी लग जाते है ,फिर शादी हो जाती है ,तो हम समझते है यह सभी कार्य में खुद कर रहा हूं मगर उसने हमारे आने से पहले हमारे प्रारब्ध यहां लिख रखे हैं ,अब विचार करे जब हम ही सबकुछ कर पाते तो किसी को बेटी होती हैं तो वह आस लगाता है अगली बार बेटा जरूर होगा जो बुढ़ापे का सहारा हो इस मकसद से तो अगली भी बेटी हो जाती है तो हमारा चाहा कहा होता है होता है जो प्रारब्ध में हो ,#तो हमे यहां मनुष्य जन्म लेकर उस परमात्मा की चाहत तो होती हैं मगर हम फस जाते है अज्ञानी धर्म गुरुओ के पास ,अब उनको शास्त्रों का तो ज्ञान होता नहीं है फिर वो हमें लगा देते हे मनमानी भक्ति जैसे श्राद्ध निकालना, पितर पूजना,व्रत करना ,शिवलिंग पूजा करना ,सालग्राम की पूजा करना ,पिंड भरवाना,तीर्थो में भटकना ,कावड़ ले जाना आदि आदि जो शास्त्रविरुद्ध भक्ति होने के कारण कोई लाभ नहीं मिलता है ,#गीताजी में अध्याय 16 के श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करता है उसे न तो सिद्धि मिलती हैं न सुख मिलता है और नहीं मरने के उपरांत परम गति मिलती है ।
    फिर आध्याय 16 के श्लोक 24 में कहा है कि इससे कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था तुझे शास्त्रानुकूल ही भक्ति करनी चाहिए ।

    #अब हम इस प्रथ्वीलोक पर मानव जन्म लेकर आते है और भक्ति करते तो है घोर तप भी करते हैं मगर शास्त्रविरुद्ध होने के कारण कोई लाभ नहीं मिलता है और उल्टे पाप ज्यादा हो जाते है जैसे कबीर साहेब कहते है कि :_
    *कबीर ,तीर्थ गए फल एक है ,स्ट्संग गए फल चार ।*
    *संत मिले फल अनेक है , कहे कबीर विचार ।।*
    अब कोई तीर्थ जाता है तो फल उसे एक मिलता है और पाप कितने चढ़ जाते है रास्ते में सूक्ष्म जीव पैरों तले मर जाते है ,और जहां तीर्थो में नहाते है वहां हजारों जीव पानी में रहते हैं सूक्ष्म वो मरते है ऐसे ऐसे कई प्रकार के पाप हमारे सिर पर चढ़ जाते है तो यही कारण रहता है कि पाप बढ़ते जाते है और उन पापो की वजह से हमें कष्टहोता है जो रोग लग जाता हैं हमें भुगतना पड़ता हैं इसका कारण है शास्त्रविरुद्ध भक्ति करना ।
    तो जो शास्त्र विरुद्ध भक्ति करता है उसको गीता अध्याय 7 के श्लोक 12 से 15 तथा अध्याय 17 के श्लोक 1 से 5 तक में राक्षस प्रवृति का बताया है और यह भी कहा है कि यह मानव शरीर प्राप्त प्राणी अपने शरीर में बैठे देवताओं को नाराज कर जाते हैं यह राक्षस प्रवृति को प्राप्त है इन्हें तो दुख ही भोगने लायक है इसलिए सभी से निवेदन है कि शास्त्रानुकूल भक्ति करे और अपने जीवन में आने वाले रोगो से और चोरासी लाख योनियों मे जाने से बसे इसका मात्र उपाय हैं आप पुस्तक पढे घर बैठे फ्री में प्राप्त करे आप हमें इस नम्बर 7496801825 पर अपना नाम पता और फोन नंबर भेजे ताकि आपको भी सत्य से अवगत कराया जा सके । और साथ मे देखना नहीं भूले रोज शाम को साधना चैनल पर 7.30 बजे से संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन ।
    अधिक जानकारी के लिए
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  3. शिक्षा और अंध विश्वास



    गीता अ*16 श्लोक 24 में लिखा है कि जो शास्त्रविधि को त्याग कर जो मनमाना आचरण करते है न तो उन्हें सुख मिलता है न ही सिद्धि प्राप्त होते जो हम अपना रहे है वो सब पाखंड पूजाए कहो या अंध विश्वास कहो तो अंध विश्वास से बचने के लिए शिक्षा आज बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है क्योंकि आज तक हमें नकली ब्राह्मण और धर्म गुरुओं ने हमें शास्त्र विधि अनुसार भक्ति नहीं बताकर शास्त्रों के विरुद्ध ज्ञान दे देकर हमें व हमारे पूर्वजों को भूत बनवा दिया और हमे कहते रहे कि हम वेदों और गीताजी और अठारह पुराण के आधार से बता रहे है मगर बताया सब उल्टा और मानव समाज का नाश कर दिया आज हमे मानव जन्म प्राप्त है और शिक्षा भी आज लगभग सभी को शिक्षा प्राप्त है तो हम शिक्षा का लाभ उठाए ,और शास्त्रानुकूल भक्ति करे और शास्त्रानुकूल भक्ति करने के लिए आज बहुत ही बड़ा परोपकार कर रहे है #संत रामपाल जी #महाराज जो आज पूरे विश्व में शास्त्रों को खोल खोलकर दिखाते हैं अगर आपको #मनुष्य जन्म का मूल उद्देश्य क्या है जानकारी के लिए देखिए साधना चैनल पर 7:30 PM से । और पुस्तक पढे फ्री में पाने के लिए अपना नाम और पता निम्न नंबर7496801825पर sms करके प्राप्त कर सकते है

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Aap hmse jude rhe maanvta ki jankari ke lie